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यह एक सोशल साइट है । इसमें किसी की अच्छाई-बुराई नहीं बल्कि सामाजिक जागरूकता तथा उच्चतम शिक्षा स्तर पर लेख लिखा गया है।......धन्यवाद

मान्यवर कांशीराम साहब और उनका योगदान

कांशीराम जयन्ती पर विशेष

मान्यवार कांशीराम साहब, आधुनिक भारत में समाज बदलने वाले माहानायकों की कड़ी में अंतिम स्तंभ थे। उन्होने  उन लोगों में सम्राट चन्द्र गुप्त मौर्य और सम्राट  आशोक की विरासत के वारिस बनने का जूनुन पैदा किया। जो सदियों से अपने ही घर में विदेशी आर्यों द्वारा गुलाम बना लिये गये  थे ।

      मान्यवर ने महज 108 साल का इतिहास पढ़ा कर बहुजनो के हाथ में राजनीति का मास्टर कुंजी थमा दिया . उनमे  अदभूत संगठन  शक्ती थी तथा हमे सिखाया की राजनीति साध्य नहीं साधन है व्यवस्था परिवरतन का . उन्होंने बामसेफ की स्थापना कर बहुजनों को एक मजबूत सामाजिक आधार दिया ताकि सामाजिक क्रांति की पहिया गतिशील रहे। ऐसे महान समाजिक क्रांतिकारी धरती पर बार बार आए!


 मान्यवर के कुछ अनमोल विचार

1. समाज से समर्थ हो कर, समाज को हमें समर्थ बनाना है यानि मैन, माइंड और मनी से Pay back to Society करना है।

2. बहुजन नायकों के निरंतर संघर्ष के कारण हम ताकतवर बने हैं तो उनके मिशन-मूवमेंट को अग्रसर करना है।

3. संस्कृति लोगों को करीब लाती है, जोड़ती है।

4. सामाजिक परिवर्तन यानि CHANGE के लिए NEED, DESIRE, STRENGTH ज़रूरी है।

5. इक्कीसवीं सदी हमारी है, अब बहुजन की बारी है।

6. जिसकी जितनी संख्या भारी, उसकी उतनी भागीदारी।

7. वोट बेटी के समान है। इसे लूटने, बटने और बेचने से बचें।

8. हमें न बिकने वाला समाज चाहिए।

9. मनुवाद सबसे बड़ी चुनौती है।

10. जातिवादी व्यवस्था ही सारी समस्याओं की जड़ है। ज़ाति तोड़ो, समाज जोड़ो।

11. जबतक मनुवाद है, हिन्दू समाज मे पिछड़ी जातियों को सम्मान नहीं मिल सकता।

12. मनुवाद की चंगुल से निकलने का एक ही रास्ता है-पीड़ित जातियां गोलबंद हों।

13. चमचों पर नहीं, उस हाथ पर वार करो जिस हाथ की वे कठपुतली बने हैं।

14. एक व्यवस्था को ध्वस्त कर दूसरी बनानी है तो हमें एक मजबूत विकल्प भी प्रस्तुत करना होगा। विकल्प के बिना सत्ता हासिल नहीं हो सकती।

15. समता और सम्मान के लिए संघर्ष करो।

16. एम पी, विधायक और मंत्री बनना उतना ज़रूरी नहीं जितना बाबासाहेब के मिशन को आगे ले जाना।

17. राजनीति सत्ता के लिए होती है और सत्ता संघर्ष से आती है।

18. जिस समाज की गैर राजनीतिक जड़ें मजबूत नहीं होती है, उस समाज की राजनीति कामयाब नहीं होती।

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