शूद्रों का इतिहास क्यों नहीं खोला जाता?????

असल मे ये ब्राम्हणवाद है जिसे मनुवाद भी कहते हैं
और इसी की छत्र छाया में हिन्दू धर्म की सिर्फ तीन जातियाँ ( ब्राम्हण ,,,छत्रिय,,,वैश्य ) भर भर कर मलाई खाती हैं और बाकी को हिन्दू नाम का अफीम सुंघा कर इनकी रक्षा में अन्य धर्मों से लड़ने ,,मरने,, और कटने के लिए आगे कर दिया जाता है क्यों??🤔
✍ और ये जो शुद्र है हिन्दू बने धर्म का चरस पिये लड़ने मरने कटने के लिए तैयार रहते हैं
✍ संविधान के पहले देश मे मनुस्मृति लागू थी उसका सबूत है हमारा समाज ✍
✍ मनुस्मृति लागू थी तो इन्हीं शूद्रों को अपने ही धर्म का वेद पुराण पढ़ने पर जबान काट दी जाती थी क्यूँ ??🤔
✍ मनुस्मृति लागू थी तो इन्ही शूद्रों को अपने ही धर्म के मंदिरों में प्रवेश करने पर पीट पीट कर मार दिया जाता था क्यूँ ???
✍ मनुस्मृति लागू थी तो इन्ही शूद्रों में दलित ,,आदिवासी महिलाओं को कमर के ऊपर तन ढकने का अधिकार इन्हीं धर्म के ठेकेदारों ने क्यूँ नहीं दिया??? और इन दलित आदिवसियों के वँशज आज हिंदू बनकर बड़का मर्द बनके घूमते हैं l
✍ मनुस्मृति लागू थी तब इन्ही शूद्रों को सार्वजनिक स्थानों पर पानी पीने का अधिकार क्यों नहीं था ???? तब तो मुगल नहीं आये थे देश मे ??🤔
✍ मनुस्मृति लागू थी तो शूद्रों की पहली बेटी को मंदिरों में देवदासी कस रूप में दान क्यूँ कर दिया जाता था ???? और जब पुजारी की हवस की प्यास बुझ जाती थी तो इन्ही देवदासियों को धंधा करने के लिए क्यूँ??🤔 बिठा दिया जाता था
✍ ब्राम्हण -------- इन्होंने मन्दिरो का ATM अपने नाम कर रखा है और सदियों से फ्री का और बिना मेहनत किये हुए का खाते आ रहे हैं
✍ ठाकुर ----- इन्होंने अपने ही धर्म की 2 जातियो को छोड़कर बाकी जातियों के खेत ,,जमीने ,,जबरन छीनी
तब कहाँ थे तुम हिन्दू ??🤔
✍ वैश्य ------ इन्होंने अपनी ही धर्म की शूद्रों की गरीबी का फायदा उठाकर खूब लूटा l
✍ शुद्र ------ हम तो मेहनत कस लोग हैं इस देश के खेतों को अपने पसीने और खून दोनों से सींचा है नहीं बिस्वास होता तो आप अपने बाप के बाप जो 1947 के पहले रहे होंगे उनका इतिहास जाने और ये भी पता करें कि वो
हिन्दू धर्म की बाकी 3 जातियो के खेतों में क्यूँ सारा दिन काम करते थे ?????? 🤔
फिर भी क्यों गालियां,,,और जूते खाते थे ???🤔
क्यूँ हमारे बाप -- दादाओ के पास 10-15 एकड़ की जमीने नहीं थीं ??🤔
हमारे बाप -- दादा धन्ना सेठ क्यूँ नहीं बन पाए ???🤔
हमारे बाप दादा मन्दिरो के पुजारी क्यूँ नहीं ????? हम हिन्दू नहीं थे क्या????
✍ फिर मुगल आये इन्होंने हिन्दू धर्म की वर्ण ब्यवस्था ,,कुरीतियों में ज़्यादा हस्तक्षेप नहीं किया l
✍ पर कुछ ऐसे इंसानियत को मानने वाले थे
जैसे टीपू सुल्तान ------ टीपू सुल्तान ने शूद्रों में दलित ,,,आदिवासी महिलाओं के स्तन ढकने के अधिकार के लिए लड़ गए और लगभग 800 ब्राम्हण के विरोध करने पर उन 800 ब्राम्हण को मरवा डाला ,,,वही नामर्द आज चिल्लाते है कि टीपू हिन्दू विरोधी था जो अपना इतिहास नहीं जानते l
✍ अंग्रेज आये ----- इन्होंने ब्राह्मणवादी ब्यवस्था को 100 % से लाकर 3 % पर कर दिया l
अब पूछो कैसे ??🤔
सतीप्रथा तब खत्म हुई जब अंग्रेज गवर्नर ने राजा राम मोहन राय का साथ देते हुई कानून साइन किया l
✍ बाल विवाह खत्म हुआ
✍ विधवा पुर्नविवाह चालू हुआ
✍ देवदासी प्रथा खत्म किया
✍ और भी बहोत कुरीतियां ब्राम्हणों द्वारा फैलाई गई थी खत्म किया
✍ और फाइनली एक शुद्र बाबा साहेब भीम राव अम्बेडकर को बड़ी मुश्किल से स्कूल के बाहर बैठने की अनुमति दिलाई --- ब्राम्हणों की जल के राख हो गयी सब देखकर
✍ खैर अंग्रेजो ने भी अत्याचार किये लेकिन शूद्रों और बाकी 3 जातियों को इंसान समझ कर ,,,ब्राह्मण की तरह नहीं कि इंसान ( शूद्रों ) को पानी भी पीने नहीं देते थे l
क्यों फूलन देवी ( एक हिन्दू ) को निर्वस्त्र करके गावँ के ठकुरो ने गावँ में घुमाया ??? तब हिन्दू कहाँ थे???
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